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इंटरमीडिएट महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर हिंदी में इंटर प्रषार्थियों के लिए प्रश्न उत्तर।

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इंटरमीडिएट महत्वपूर्ण

इंटरमीडिएट महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर हिंदी में इंटर प्रषार्थियों के लिए प्रश्न उत्तर।

1. (i) देखें वर्ष 2020 प्रश्न सं०-1

(ii) का उत्तर ।

(ii) कोरोना वायरस

कोरोनावायरस जिसे डब्ल्यू. एच. ओ द्वारा कोविड-19 भी कहा गया या एक अत्यधिक सूक्ष्म परन्तु बहुत की भयंकर जानलेवा वायरस है। सर्वप्रथम इस वायरस का प्रकोप चीन के वुहान शहर में मध्य दिसंबर 2019 में देखने को मिला इसके पश्चात् पूरी दुनिया में इस वायरस के घातक परिणाम देखने को मिले।

यह विषाणु (वायरस) संक्रमण फैलाने वाला होता है यह मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर स्वभाव तंत्र से संबंधित रोगों जैसे-गले में खराश, नाक बहना, जुकाम खांसी, सांस लेने में समस्या व बुखार आदि को जन्म देता है ।

यह वायरस मनुष्य द्वारा मनुष्य में आसानी से चला जाता है तथा बड़ी मात्रा में लोगों को संक्रमित करता है । यह वायरस संक्रमित व्यक्ति द्वारा छींकने, संक्रमित हाथों द्वारा किसी सतह या वस्तुओं को छूने खाँसते वक्त निकली सूक्ष्म बूंदों द्वारा फैलता है । अनेक देश पूर्ण प्रयासों द्वारा कोरोनावायरस की वैक्सीन खोजने में लगे हैं वर्तमान में इस वायरस से बचाव ही इसका इलाज है । अतः पूरा विश्व आज कोविड-19 जैसी भयंकर वैश्विक महामारी से जूझ रहा है परन्तु हमें लोगों को जागरूक करना चाहिए तथा इससे ना डरते हुए उचित सावधानियां बरतनी चाहिए व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए, ऐसा करने से हम सुरक्षित रहेंगे तथा इस भयंकर महामारी पर विजय प्राप्त करने में सफल रहेंगे।

इंटरमीडिएट महत्वपूर्ण

(iii) आरक्षण नीति

भारत में आरक्षण एक सरकारी नीति हैं, जो भारतीय संविधान द्वारा समर्थित है। भारत में आरक्षण सरकारी नौकरियों, शैक्षणिक संस्थानों, और यहाँ तक कि आबादी के कुछ वर्गों के लिए सीटों तक पहुँच के बारे में है। भारत में आरक्षण अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के साथ-साथ अल्पसंख्यकों और सभी वर्गों की महिलाओं को भी प्रदान की जाती है। 2019 से पहले आरक्षण मुख्य रूप से सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर प्रदान किया गया था। हालांकि 2019 में 103वें संविधान संशोधन के लिए आर्थिक पिछड़ेपन पर भी विचार किया गया है। आज सामान्य आरक्षण प्रदान करने का उद्देश्य समुदायों से संबंधित व्यक्तियों को नौकरी देना नहीं है। यह मूल रूप से उन्हें सशक्त बनाने और राज्य की निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से है ।

(iv) देखें वर्ष 2019 प्रश्न सं०- 1 (iii) का उत्तर।

(v) देखें वर्ष 2017 प्रश्न सं०-1 (क) का उत्तर

(vi) देखें वर्ष 2016 प्रश्न सं०-4 (ख) का उत्तर।

2. (i) देखें वर्ष 2014 प्रश्न सं०-5 अथवा, का उत्तर । (ii) चम्पारण की यह गौरवशाली भूमि महान है। यहाँ अनेक आक्रमणकारी तथा बाहरी व्यक्ति आए उन्होंने या तो इस पावन भूमि को क्षति पहुँचाई या आकर बस गए। किन्तु धन्य है इसकी सहनशीलता एवं उदारता । इसने इन सबको भुला दिया, क्षमा कर दिया। ऐसा प्रतीत होता है कि इसने विस्मृति के हाथों अपनी बड़ी से बड़ी निधियों को सौंप दिया इसने किसी प्रकार का प्रतिकार नहीं किया। स्वयं को उन आततायियों के हाथों समर्पित कर दिया। उन्हें अपनी निधि यों से समृद्ध किया।

(iii) व्याख्या प्रस्तुत पद्यांश हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग-2 के रघुवीर सहाय विरचित ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता से लिया गया है । इसमें कवि ने सत्तावर्ग के द्वारा जनता के शोषण का जिक्र किया है। यह एक व्यंग्य कविता है।

कवि के अनुसार राष्ट्रीय त्योहारों के अवसर पर सभी दिशाओं से जो जनता आती है वह नंगे पांव है। वह इतनी गरीब है कि केवल नरकंकाल का रूप हो गई है । उसकी गाढ़ी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा सिंहासन पर बैठा जनप्रतिनिधि हड़प लेता है। गरीब जनता के पैसे से ही वह मेडल पहनता है । मंच पर फूलों की माला पहनता है । वह राज-सत्ता का भोग करता है । शेष जनता गरीबी को मार से परेशान है।

कवि रघुवीर सहाय ने उक्त पंक्तियों में सत्ता वर्ग तानाशाहों को व्यंग्यात्मक चित्रण बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया है । स्वतंत्र देश की यह दुर्दशा राजनेताओं की देन है । वे स्वयं राज-योग में लिप्त हैं और जनता गरीबी और लाचारी की मार झेल रही है । (iv) प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश प्रसिद्ध कवयित्री ‘सुभद्रा’ कुमारी चौहान’ द्वारा रचित उनकी कविता ‘पुत्र वियोग’ से उद्धत है जो उनके प्रतिनिधि काव्य संकलन ‘मुकुल’ में संकलित है। कवयित्री की यह रचना एक शोकगीति है।

एक माँ यह बात अच्छी तरह जानती है कि मृत्यु पर किसी का वश नहीं चलता है । मृत्यु को किसी से मोह नहीं होता और जो उसके मुँह में चला गया, वह कभी लौटकर नहीं आता है। किन्तु एक माँ अपने मृत बेटे को कभी भूल नहीं पाती है। वह पुत्र वियोग में सदा तड़पती रहती है। 3. देखें वर्ष 2016 प्रश्न सं०-1 का उत्तर । अथवा,

सेवा में,

श्रीमान् प्रबंधक महोदय, भारतीय स्टेट बैंक,

नई दिल्ली,

बिषय – नया बैंक खाता खुलवाने हेतु पत्र प्रिय महोदय,

मैं यहाँ राजकीय कन्या विद्यालय की छात्रा हूँ और विद्यालय के छात्रावास में ही रहती हूँ। मेरे माता पिता प्रतिमाह मेरा विद्यालय शुल्क एवं जेबखर्च हेतु ड्राफ्ट द्वारा धन भेजते हैं। जिसके लिए मैं आपके बैंक में अपना बचत खाता खोलना चाहती हूँ ताकि ड्राफ्ट जमा कराकर आवश्यकतानुसार धनराशि निकाल सकूँ । कृपया करके आप मुझे आवश्यक जानकारी सहित बचत खाता खोलने की अनुमति प्रदान करें। सधन्यवाद।

भवदीया प्रेरणा सिन्हा, कक्षा-10 ब छात्रावास, राजकीय कन्या विद्यालय दिनांक 08.02.2021

4. (i) देखें वर्ष 2019 प्रश्न सं०-4 (v) का उत्तर । (ii) नारी की पराधीनता तब आरंभ हुई जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया, जिसके चलते नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा । यहाँ से जिंदगी दो टुकड़ों में बँट गई। घर का जीवन सीमित और बाहर का जीवन विस्तृत होता गया, जिससे छोटी जिन्दगी बड़ी जिन्दगी के अधिकाधिक अधीन हो गई। नारी की पराधीनता का यह संक्षिप्त इतिहास है।

(iii) भगत सिंह की विद्यार्थियों से बहुत-सी अपेक्षाएँ हैं । वे चाहते हैं कि विद्यार्थी राजनीति तथा देश की परिस्थितियों का ज्ञान प्राप्त करें और उनके सुधार के उपाय सोचने की योग्यता पैदा करें। वे देश की सेवा में तन मन धन से जुट जाएँ और अपने प्राण न्योछावर करने से भी पीछे न हटें।

4. (i) देखें वर्ष 2019 प्रश्न सं०-4 (v) का उत्तर । (ii) नारी की पराधीनता तब आरंभ हुई जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया, जिसके चलते नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा । यहाँ से जिंदगी दो टुकड़ों में बँट गई। घर का जीवन सीमित और बाहर का जीवन विस्तृत होता गया, जिससे छोटी जिन्दगी बड़ी जिन्दगी के अधिकाधिक अधीन हो गई। नारी की पराधीनता का यह संक्षिप्त इतिहास है ।

(iii) भगत सिंह की विद्यार्थियों से बहुत-सी अपेक्षाएँ हैं। वे चाहते हैं कि विद्यार्थी राजनीति तथा देश की परिस्थितियों का ज्ञान प्राप्त करें ओर उनके सुधार के उपाय सोचने की योग्यता पैदा करें। वे देश की सेवा में तन मन धन से जुट जाएँ और अपने प्राण न्योछावर करने से भी पीछे न हटें।

(iv) देखें वर्ष 2016 प्रश्न सं०-7 (ग) का उत्तर । (v) कुंती ‘सिपाही की माँ’ शीर्षक एकांकी की एक पात्र है। वह एक अच्छी पड़ोसन के रूप में रंगमंच पर प्रस्तुत हुई है । यद्यपि कुंती की भूमिका थोड़े समय के लिए है। तब भी उसे थोड़े में आँका नहीं जा सकता है। यह विशनी की पुत्री मुन्नी के विवाह के लिए चिंतित है। वह स्वयं मुन्नी के लिए घर-घर खोजने को भी तैयार है । वह बिशनी को सांत्वना भी देती है । बिशनी के पुत्र मानक के वर्मा से सकुशल लौटने की बात भी वह करती है। विशनी के प्रति उसकी सहानुभूति उसके शब्दों में स्पष्ट दिखाई पड़ती है। वह कहती है तू इस तरह दिल क्यों हल्का कर रही है। कुंती वर्मा के सड़कियों के प्रति थोड़ा कठोर दिखाई देती है। उनके हाव-भाव एवं पहनावे तथा भिक्षाटन पर थोड़ा क्रुद्ध भी हो जाती है। उनका इस तरह से भिक्षा माँगना कतई अच्छा नहीं लगता है। वह कहती भी है-‘हाय रे राम! ये लड़कियाँ कि।

(vi) महाकवि भूषण ने अपने कवित्त में छत्रपति शिवाजी की महिमा का गुणगान किया है । महराज शिवाजी की तुलना कवि ने इन्द्र, समुद्र की आग, श्रीरामचन्द्रजी, पवन शिव, परशुर, जंगल की आग, शेर `(चिता), प्रकाश यानि सूर्य और कृष्ण से की है। छत्रपति शिवाजी के व्यक्तित्व में उपरोक्त सभी देवताओं के गुण विराजमान थे। जैसे उपरोक्त सभी अंधकार, अराजकता, दंभ अत्याचार को दूर करने में सफल हैं, ठीक उसी प्रकार मृगराज अर्थात् शेर के औरंगजेब से लोहा ले रहे हैं । वे अत्याचार और शोषण दमन के विरुद्ध लोकहित के लिए संघर्ष कर रहे हैं। छत्रपति का व्यक्ति एक प्रखर राष्ट्रवीर, राष्ट्रचिन्तक, सच्चे कर्मवीर के रूप में हमारे सामने दृष्टिगत होता है । जिस प्रकार इन्द्र द्वारा यम का, वाड़वाग्नि द्वारा जल का, और घमंडी रावण का दमन श्रीराम करते हैं ठीक उसी प्रकार शिवाजी का भी व्यक्तित्व है । पवन जैसे बादलों को तितर-बितर कर देता है, शिव के वश में कामदेव हो जाते हैं, साहस्रार्जुन पर परशुराम की विजय होती है, दावाग्नि जंगल के वृक्षों की डालियों को जला देती है; जैसे चीता (शेर) मृग झुंडों पर धावा बोलता है ठीक हाथी पर सवार हमारे छत्रपति शिवाजी मृगराज की तरह सुशोभित हो रहे हैं। जिस प्रकार सूर्य प्रकाश से अंधकार का साम्राज्य विनष्ट हो जाता है, कृष्ण द्वारा कंस पराजित होता है, ठीक उसी तरह औरंगजेब पर हमारे छत्रपति भारी पड़ रहे हैं । हमारे इन देवताओं एवं प्रकृति के अन्य जीवों की तरह गुण संपन्न शिवाजी का व्यक्तित्व है। वे देशभक्ति और न्याय के प्रति अटूट आस्था रखनेवाले भूषण के महानायक हैं । उनके व्यक्तित्व और शीर्ष के आगे शत्रु फीके पड़ गए हैं

(vii) गंगा, इरावती, नील, आमेजन आदि नदियाँ अपने अन्तर में समेटे हुए अपार जलराशि निरन्तर प्रवाहित हो रही हैं । उनमें वेग है, शक्ति है तथा अपनी जीव धारा के प्रति एक बेचैनी है। प्यार भी है, क्रोध भी है । प्यार एवं आक्रोश का अपूर्व संगम है। उनमें एक करूणाभरी ममता है तो अत्याचार, शोषण एवं पाशविकता के विरुद्ध दोधारी आक्रामकता भी है। प्यार का इशारा तथा क्रोध की दुधारा का तात्पर्य यही है।

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