TOP SARKARI

Search
Close this search box.

इंटरमीडिएट परीक्षा 2024 इंटर परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर हिंदी में।

[sm_links_style1]
WhatsApp
Telegram
Facebook
Twitter
LinkedIn
इंटरमीडिएट परीक्षा 2024

इंटरमीडिएट परीक्षा 2024 इंटर परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर हिंदी में।

1. विद्यार्थी जीवन साधना और तपस्या का जीवन है। यह काल एकाग्रचित होकर अध्ययन और ज्ञान-चिंतन का है। यह काल सांसारिक भटकाव से स्वयं को दूर रखने का काल है। विद्यार्थियों के लिए यह जीवन अपने भावी जीवन का ठोस नींव प्रदान करने का सुनहरा अवसर है। यह चरित्र-निर्माण का समय है। यह अपने ज्ञान को सुदृढ़ करने का एक महत्त्वपूर्ण समय है।

विद्यार्थी जीवन पाँच वर्ष की आयु से आरंभ हो जाता है। इस समय जिज्ञासाएँ पनपने लगती हैं। ज्ञान-पिपासा तीव्र हो उठती है। बच्चा विद्यालय में प्रवेश लेकर ज्ञानार्जन के लिए उद्यत हो जाता है। उसे घर की दुनिया से बड़ा आकाश दिखाई देने लगता है। नए शिक्षक नए शिक्षक नए सहपाठी और नया वातावरण मिलता है। वह समझने लगता है कि समाज क्या है और उसे समाज में किस तरह रहना चाहिए। उसके ज्ञान का फलक विस्तृत होता है। पाठ्य-पुस्तकों से उसे लगाव हो जाता है। वह ज्ञान रस का स्वाद लेने लगता है जो आजीवन उसका पोषक करता रहता है।

(ii) देखें वर्ष 2014 प्रश्न सं०-4 (घ) का उत्तर । (iii) शिक्षक दिवस 5 सितम्बर

समाज को सही दिशा देने में शिक्षक की अहम् भूमिका होती है। वह देश के भावी नागरिकों अर्थात् बच्चों के व्यक्तित्य संवारने के साथ-साथ उन्हें शिक्षित भी करता है। इसलिए शिक्षकों द्वारा किये गये श्रेष्ठ कार्यों का मूल्यांकन कर उन्हें सम्मानित करने का दिन ही शिक्षक दिवस कहलाता है। हालांकि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् जो कि 1962 से 1967 तक भारत के राष्ट्रपति भी रहे। उनके जन्म दिवस के अवसर पर ही शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वे संस्कृतज्ञ, दार्शनिक होने के साथ-साथ शिक्षा शास्त्री भी थे। राष्ट्रपति बनने से पूर्व उनका शिक्षा क्षेत्र ही सम्बद्ध था। 1920 से 1921 तक वे विश्वविख्यात काशी हिन्दू विश्वविद्यालय‍ के उपकुलपति पद पर रहे। राष्ट्रपति बनने के बाद जब उनका जन्म दिवस सार्वजनिक रूप से आयोजित करना चाहा तो उन्होंने जीवन का अधिकतर समय शिक्षक रहने के नाते इस दिवस को शिक्षकों का सम्मान करने हेतु शिक्षक दिवस मनाने की बात कही। उस समय से प्रतिवर्ष यह दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। (iv) स्वच्छ भारत अभियान

इंटरमीडिएट परीक्षा 2024

स्वच्छ भारत अभियान गांधी जी के विचारों से शुरू किया गया है, क्योंकि गांधी जी ने आजादी से पहले सपना देखा था कि हमारा देश भी विदेशों की तरह स्वच्छ होना चाहिए लेकिन किसी कारणवश सपना पूरा नहीं हो सका। इसलिए, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने गांधीजी के विचारों से प्रेरणा ली और अपने 145 वें जन्मदिन पर इस अभियान की शुरूआत की। नरेंद्र मोदी ने इस अभियान को पूरा करने के लिए 5 साल का लक्ष्य रखा था और उन्होंने कहा था कि महात्मा गांधीजी की 150 वीं जयंती तक उन्होंने पूरे भारत को स्वच्छ बनाने का लक्ष्य रखा था। इसमें हर भारतीय से आग्रह किया था कि वे इस अभियान में शामिल हों और अपने आसपास के क्षेत्रों की सफाई करें। इस अभियान को सफल बनाने के लिए, उन्होंने प्रचार करने के लिए देश के 11 महत्वपूर्ण और प्रभावी लोगों का चयन क्या है। उनमें से कुछ क्रिकेटर्स, कुछ फिल्म निर्माता और कुछ महान लोग हैं जिन्हें वे सुनना पसंद करते हैं और उनके शब्दों को सुनना पसंद करते हैं। मोदी जी ने कहा कि हर व्यक्ति को इस अभियान में 9 लोगों को जोड़ना होगा और फिर दूसरे व्यक्ति को भी 9 लोगों को जोड़ना होगा। यदि अभियान का प्रचार करेगा और लोगों में उत्साह होगा कि उनके आस-पास की सफाई आवश्यक है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए मोदी ने खुद सड़कों की सफाई की। इसे देखकर लोगों में स्वच्छता के लिए नया जोश आ गया और लोगों ने स्वच्छता की सफाई शुरू कर दी है। इस अभियान का उद्देश्य यह है कि 2019 तक पूरा भारत स्वच्छ और स्वच्छ हो।

(v) पुस्तकालय

मानव शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए जिस प्रकार हमें पौष्टिक तथा संतुलित भोजन की आवश्यकता होती है। उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्ञान की प्राप्ति आवश्यक है। मस्तिष्क को बिना गतिशील बनाये ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता। ज्ञान प्राप्ति के लिए विद्यालय जाकर गुरु की शरण लेनी पड़ती है। इसी तरह ज्ञान अर्जित करने के लिए पुस्तकालय की सहायता लेनी पड़ती है। लोगों को शिक्षित करने तथा ज्ञान देने के लिए एक बड़ी राशि व्यय करनी पड़ती है । इसलिए स्कूल कालेज खोले जाते हैं और उनमें पुस्तकालय स्थापित किये जाते हैं। जिससे कि ज्ञान चाहने वाला व्यक्ति सरलता से ज्ञान प्राप्त कर सके ।

पुस्तकालय के दो भाग होते हैं। वाचनालय तथा पुस्तकालय । वाचनालय में देशभर से प्रकाशित दैनिक अखबार के अलावा साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक पत्र-पत्रिकाओं का पठन केन्द्र है। यहाँ से हमें दिन प्रतिदिन की घटनाओं की जानकारी मिलती है। पुस्तकालय विविध विषयों और इनकी विविध पुस्तकों का भण्डारगृह होता है। पुस्तकालय में दुर्लभ से दुर्लभ पुस्तक भी मिल जाती है।

(vi) शराब बंदी

मदद् निषेध से तात्पर्य है मदद् अथवा मदिरा के पिने पर रोक लगाना। भारत जैसे निर्धन देश में जहाँ मदिरापान करना एक विलासिता है, मदद निषेध अत्यन्त आवश्यक है। यद्दपि मद्दपान आधुनिक समाज के लिए अनिवार्य – सा बन गया है परन्तु फिर भी इसके अनेक दुष्प्रभाव है। मद्दपान धन के अपव्यय का कारण तो बनता ही है साथ ही स्वास्थ्य का भी नाश कर दिया करता है। यह व्यक्ति की आन्तरिक व बाहम सभी प्रकार की सुन्दरता को नष्ट कर उसे भद्दा एवं कुरूप बना दिया करता है। इतना सब होने पर भी मद्दपान करने वाले व्यक्त इसे अमृत कहते हैं और जो इसे नहीं पीते वे ही इसे घृणा की दृष्टि से देखते हैं।

मदूदपान के अनेक आदी और समर्थक बड़े गर्व तथा गौरव से मदिरा को ‘सोमरस’ का नाम दे दिया करते है। वे कहते है कि जिस सोमरस का हमारे देवता पान करते थे यदि हमने कर लिया तो क्या बुरा किया ? परन्तु वास्तव मै वे सोमरस के वास्तविक अर्थ को जाने बिना ही इसकी हिमायत करने लगते हैं। वास्तव में सोमरस (सोम लता से प्राप्त रस) एक प्रकार का स्वास्थ्यप्रद टानिक था । मद्दपान करने वाले की आत धीरे-धीरे छीजने लगती है और उसे भीतर से खोखला बनाकर छोड़ देती है ।

(क) व्याख्या- ओमप्रकाश बाल्मीकि हिन्दी साहित्य में दलित जीवन के एक सशक्त रचनाकार हैं। इनके साहित्य में दलित जीवन के रोष और आक्रोश की संवेदनात्मक अभिव्यक्ति है। व्याख्येय पंक्तियाँ ओमप्रकाश बाल्मीकि की आत्मकथा ‘जूठन’ में उद्धृत हैं। इन पंक्तियों में दलितों के क्रूर सामाजिक शोषण का जिक्र है। प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने अपने छात्रजीवन के समय की घटना का उल्लेख किया है। लेखक कहते हैं कि तब मालिकों के घरों में काम करने वाले श्रमिकों को ही घर के मृत पशु भी उठाने पड़ते थे और बदले में कोई मेहनताना या मजदूरी नहीं मिलती थी। एक पशु के उठाव में पाँच-छह लोगों की जरूरत होती थी। उलटे विलम्ब होने पर गालियाँ भी सुननी पड़ती थी। इसे ही लक्ष्य कर लेखक सामाजिक क्रूरता का जिक्र कर रहे हैं। लेखक के अनुसार घृणित और कठोर रम के एवज में सिर्फ भद्दी गालियाँ मिलना सामाजिक क्रूरता की परकाष्ठा है। यह निर्धनों को निर्धन और बेजुबान बनाये रखने का षडयंत्र है।

[webinsights_author_box]

---Advertisement---

LATEST NEWS