इंटरमीडिएट परीक्षा 2024 इंटर के परीक्षार्थियों के लिए जीव विज्ञान में महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर।
1. जब मटर वाले प्रयोग को अन्य विशेषकों के संदर्भ में दोहराया गया तो पता चला कि कभी कभार F में ऐसा Phenotype आ जाता है जो किसी भी जनक से नहीं मिलता-जुलता और इनके बीच का सा लगता है। श्वान पुष्प (Snap Dragon) में पुष्प-रंग की वंशागति अपूर्ण प्रभावित को समझने के लिए अच्छा उदाहरण है । तद्रूप प्रजननी लाल फूलवाली (RR) और तद्रूप जननी सफेद फूल वाली (mr) प्रजाति के संकरण के परिणामस्वरूप F, पीढ़ी गुलाबी फूलों (Rr) वाली प्राप्त हुई। जब इस F, संतति को स्वयं परागित किया गया तो परिणामों का अनुपात 1 (RR) लाल :
2 (Rr) गुलाबी : 1 (rr) सफेद था फोनोटाइप अनुपात लाल गुलाबी जीनोटाइप अनुपात।
यहाँ पर जीनोटाइप अनुपात वही था जो किसी भी मंडलीय एक संकरण के संकरण में संभावित होता, किंतु फीनोटाइप अनुपात अर्थात्
3: 1 प्रभावी अप्रभावी बदल गया। इस उदाहरण में R कारक कारक पर पूर्णतः प्रभावी नहीं रहा, अतः लाल (RR), सफेद (IT) से गुलाबी (Rr) प्राप्त हो गया । 2. देखें वर्ष 2014. प्रश्न संख्या 24 का उत्तर 3. देखें वर्ष-2017, प्रश्न संख्या-1 का उत्तर
4. (i) अभासी फल-अधिकतर पौधों में फलों का विकास अंडाशय से होता है जबकि अन्य फ्लोरय भाग (Floral Part) नष्ट होकर गिर जाते हैं। हलाकि कुछ प्रजातियों में (जैसे-सेब, स्ट्रॉबेरी उत्पादि) थैलेमस भी फल के निर्माण में मदद करता है। ऐसे फल को ही अभासी फल कहते हैं। जैसे- कटहल
(ii) वास्तविक फल- अधिकतर फल सिर्फ अंडाशय से विकसित होते
हैं, जिसे वास्तविक फल कहते हैं। जैसे-बैर । (iii) अनिषेध जनित फल-अधिकतर फलों का निर्माण निषेचन के द्वारा होता है, लेकिन कुछ प्रजातियों में फल का निर्माण बिना निषेचन के ही होते हैं। ऐसे फल को अनिषेचन जनित फल कहते हैं। जैसे-केला ।
(iv) बहुभ्रूणता – एक बीजांड में एक से अधिक भ्रूण बनने की अवस्था
को बहुभ्रूणता कहते हैं।
5. जीन उत्परिवर्तन- जब किसी जीन के DNA में कोई स्थाई परिवर्तन होता है तो उसे जीन उत्परिवर्तन (Gehe Mutation) कहा जाता है। यह कोशिकाओं के विभाजन के समय किसी दोष के कारण पैदा होता है। सृष्टि के जीवनगर में विविधता दृष्टिगोचर होती है। वायुमंडलीय प्रभाव शक्तिशाली होने के कारण नए प्रकार के जीव जंतु का विकास म्यूटेशन के कारण हुआ । गुणसूत्रों में परिवर्तन के फलस्वरूप जंतुकुलों में ही नहीं, स्पीशीज तक में विविधता आ गई। इंटरमीडिएट
6. DNA प्रतिकृति में आवश्यक दो इंजाइम निम्न हैं-
(a) प्रैमेज -इस इंजाइम की सहायता से न्यूक्लियोटाइड को जोड़ा जाता है
(b) पोलीमर्स – 1- इस इंजाइम की मदद से नए DNA के सबूत जाता है।
7. आनुवांशिकतः रूपांतरित पौधा वैसे पौधे है जिसमें जैव प्रौद्योगिक तकनीक द्वारा किसी दूसरे पौधे का जीन समाविष्ट किया जाता है। बैसीलस थुरीनजिएसिस जीवाणु की कुछ नस्लें ऐसे प्रोटीन का निर्माण करता है जो खास कीटों को मारने में कारगर होता है। इस प्रोटीन के रवा में विषाक्त कीटनाशक प्रोटीन पाया जाता है। बीटी टॉक्सिन प्रोटीन निष्क्रिय प्रोटोटॉक्सिन के रूप में रहता है पर कीट द्वारा अंतर्गहण के बाद यह सक्रिय टॉक्सिन में बदला जाता है जो कीट के आहारनाल की दीवार में छेद कर देता है जिससे कीटों की मौत हो जाती है। विशिष्ट बीटी जीव विष का gene वैसिलस पुरिनजिएसिस से पृथक् कर कई फसलों जैसे कपास में समाविष्ट किया जा चुका है। जीन का चुनाव फसल व निर्धारित कीट पर निर्भर करता है। जीव-विष जिस जीन द्वारा कूटबद्ध होते हैं, उन्हें काई (cry) कहते हैं।
8. अंत: क्षेपण (micro injection) के तरीकों का प्रयोग जानवरों के बीच जीनों को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है और ट्रांसजेनिक जीवों को बनाने के लिए एक लोकप्रिय तकनीक है, विशेषकर स्तनधारियों में।
DNA माइक्रोइंजेक्सन में कांच बिंदुक का इस्तेमाल DNA को एक जीय से दूसरे के अंडों में ले जाने के लिए किया जाता है। DNA इंजेक्सन के बाद, डिंब को एक प्राप्तकर्त्ता मादा या गर्भ धारण माता के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
9. प्रतिबंधन इंडोयूक्लिएज- यह एक प्रकार का इंजाइम होता है जो DNA के भीतर विशिष्ट जगह हो काटता है जिसे पैलिन्ड्रोम कहते हैं। वर्तमान समय में 900 से अधिक ऐसे इंजाइम की खोज हुई है। यह इंजाइम जीवाणुओं से प्राप्त किया जाता है। इसका नामकरण भी जीवाणु के प्राप्ति के पर रखा जाता है। अनुवंशिक प्रौद्योगिकी में इसका प्रयोग जीन क्लोनिंग में किया जाता है।
10. रासायनिक संगठन के हिसाब से वहितमल में करीब 99% जल तथा 1% ठोस वर्ज्य पदार्थ होते हैं। इसके अलावा बहुत से सूक्ष्मजीव जैसे- (Colliform, Streptococci, clostrida, lactobacilli etc), Micro fungi, protozoans, एवं Microalgae आते हैं। ये सूक्ष्मजीव वहितमय का प्राकृतिक उपचार करता है।
11. पौधे के विकास के लिए पादप ऊतक सवंर्धन पर आधारित एक तकनीक है सूक्ष्म प्रवर्धन। इसके द्वारा एक पौधे से तीव्र गति से अनेक पौधा का निर्माण किया जाता है।
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Fig. Structure of an antibody molecule
14. जैवविविधता हॉटस्पॉट- यह आनुवंशिक विविधता बनाए रखने. वाले ऐसे बहुउद्देश्यीय संरक्षित क्षेत्र है, जहाँ जीव-जंतुओं व सूक्ष्म जीवों को उनके प्राकृतिक परिवेश में संरक्षित करने का प्रयास किया जाता है। यहाँ लोगों को इससे संबंधित प्रशिक्षण भी दी जाती है एवं जैव विविधता तथा पारिस्थितिक तंत्र के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखने का प्रयास भी किया। जाता है। जैसे-‘भारत का पश्चिमी घाट’ तथा ‘हिमालय क्षेत्र’ ।
15. समताप मंडल में पाई वाली ओजोन परत को ‘जीवन रक्षक छतरी (Life saving umbrella) कहा जाता है, क्योंकि यह सूर्य के पराबैंगनी किरण को अवशोषित करती है। इन किरणों से आँखों के रोग होने का खतरा रहता है तथा कृषि व जलवायु पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। ओजोन परत से सूर्य की पराबैंगनी किरणों की 70 से 90% परतें छन जाती है। वायुमंडल में ओजोन का सांद्रण 220 डॉब्सन यूनिट से कम हो जाने पर ओजोन छिद्र का निर्माण होता है, जिससे परबैंगनी किरण वायुमंडल में प्रवेग कर जाती है। ओजोन छेद का प्रमुख कारण क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC), हाइड्रोफ्लोरो कार्बन (HFC) हैलोजेन्स, कार्बन टेट्राक्लोरीन मिथाइल क्लोरोफॉर्म व मिथाइल ब्रोमाइड जैसे रसायन से होती है।
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16. जनसंख्या नियंत्रण के लिए आजकल गर्भनिरोधक की कई विधियों मानव द्वारा प्रयुक्त होने लगी हैं। ऐसे लोगों में जागरूकता के कारण संभव हो पाया है। कुछ प्रमुख गर्भनिरोधक की विधियाँ निम्नलिखित हैं-
(a) मुखीय गर्भनिरोधक (Oral Contraception)- इस विधि का प्रयोग मुख्यतः महिलाओं द्वारा किया जाता है। इसमें हार्मोन युक्त टिकिया को मुख द्वारा ग्रहण किया जाता है जो अण्डक्षेपण चक्र को बदलकर अंडोत्पादन को अवरुद्ध कर देता है। ये टिकिया गर्भाशय भित्ति स्तर के गुण को बदल देता है। फलतः गर्भाशय को युग्मनज के प्रतिस्थापन (Implantation) के प्रतिकूल भी बना देता है।
(i) IUCD जैसे- कॉपर टी या लूप तकनीक का उपयोग महिलाओं के जनन नाल में कर अंडरोपन को अवरुद्ध किया जा सकता है।इंटरमीडिएट
(ii) कन्डोम / डायफ्रॉम इत्यादि के प्रयोग द्वारा निषेचन का रोध हो। (II) शल्य क्रिया (जैसे-महिला में Tubectomy तथा पुरुष में Vasectomy’ द्वारा शुक्राणु का अंड से संयोग को रोका जा सकता है इसे महिला या पुरुष नसबंदी भी कहा जाता प्राकृतिक विधि में किसी तकनीक या औषधि की आवश्यकता नहीं होती यह तीन प्रकार का होता है- (a) आवधि परहेज (Rhythm विधि) – अंडोत्सर्जन के बाद Fertility – की संभावना 24 से 48 घंटे होती है। अतः इस दरम्यान बीन से परहेज किया।